आज के दिन इंसान के आसमान में उड़ने के सपने को पहली बार मिले थे पंख, जानें कैसे
आज दुनियाभर की आधे से ज्यादा आबादी हवाई उड़ान की मदद से ही यात्रा करते हैं। हालांकि यहां ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो अब तक हवाई जहाज में ना बैठे हों, लेकिन हर किसी को यह जानने में तो दिलचस्पी जरूर होगी कि इंसान ने पहली बार आसमान में उड़ान कब भरी थी। आज का दिन इस लिहाज से हम सभी के लिए बहुत खास है क्योंकि आज ही के दिन इंसान का आसमान में उड़ान भरने का सपना पूरा हुआ था।
1903 में पहली भरी थी आसमान में उड़ा
17 दिंसबर, 1903 को अमेरिका के राइट ब्रदर्स ऑरविल और विलबर ने राइट फ्लायर नाम के विमान से उड़ान भरी थी। उत्तरी कैरोलिना से विमान 06 मीटर की ऊंचाई तक गया और तकरीबन 36 मीटर की दूरी तय की थी। राइट बंधुओं की इस उपलब्धि के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है। इस मंजिल तक पहुंचने के लिए उन्होंने 4 साल कड़ी मेहनत की इस दौरान कई बार नाकामी भी हाथ लगी लेकिन कभी हौंसला कम नहीं हुआ और आज उन्हीं की बदौलत हम दुनिया में कहीं भी जाने की इच्छा पूरी कर लेते हैं।
बचपन से ही कल्पनाशील थे राइट बंधु
हवाई जहाज के अविष्कारक राइट ब्रदर्स बचपन से ही कल्पनाशील थे। बचपन में ही दोनों भाईयों ने अपनी कल्पनाओं में हवाई जहाज बनाने का सपना देखा था जिसे उन्होंने 1903 में पूरा कर दिखाया। अमेरिका के हटिंगटन स्थित यूनाइटेड ब्रेदेन चर्च में बिशप के पद पर उनके पिता काम करते थे। उन्होंने अपने बेटों को एक खिलौना हेलीकॉप्टर लाकर दिया था और इसी ने दोनों को असली का आसमान में उड़ने वाला उड़न यंत्र बनाने के लिए प्रेरित किया। बचपन में देखे इस सपने ने उन्हें तब तक चैन नहीं लेने दिया, जब तक कि वो सचमुच का उड़न यंत्र बनाने में कामयाब नहीं हो गए।
12 सेकेंड में भरी 120 फीट की उड़ान
मशीनों में काम करने के कारण उन्हें अपना यह सपना सच करने में सफलता हासिल हुई। दोनों भाई प्रिंटिंग प्रेसों, साइकिलों और मोटरों समेत विभिन्न तरह की मशीनों मे काम करते थे। जहां से उन्हें कई चीजें सीखने को मिली और हवाई जहाज बनाने में इन सब जानकारियों ने उनकी काफी मदद की। दोनों ने 1900 से 1903 तक लगातार ग्लाइडरों के साथ परीक्षण किया लेकिन उनको बार-बार निराशा ही हाथ लग रही थी। तब एक साइकिल मैकेनिक ने उनकी मदद की और राइट ब्रदर्स ने एक ऐसा इंजन बनाया जो वजन में तो कम था लेकिन उसकी पावर बहुत ज्यादा थी। यह परेशानी तो उनकी हल हो गई लेकिन अब प्रोपेलर की समस्या आड़े आने लगी। तो उन्होंने इसको हल करने के लिए ग्लाइडरों के अनुभव के आधार पर एक नया प्रोपेलर तैयार किया और अपने ग्लाइडर 'किटी हॉक' में यह इंजन और प्रोपेलर लगाकर विमान तैयार कर लिया। 17 दिसंबर, 1903 को पहली बार विमान ने उड़ान भरी और 12 सेकेंड की उड़ान में 120 फीट की दूरी तय की।
कई विवाद भी हुए
राइट बंधुओं की राह इतनी आसान नहीं थी। फ्रांस की एक कंपनी ने भी इस तरह का अविष्कार करने का दावा किया, लेकिन राइट बंधुओं के अविष्कार को ही मान्यता दी गई। साल 1908 में राइड ब्रदर्स के इस अविष्कार को मान्यता मिली और इसने हम सबकी जिंदगी बदलकर रख दी।