PANIPAT Controversy: राजस्थान-हरियाणा की सड़कों पर क्यों छिड़ी है ‘पानीपत’ की जंग, जानें एक्सपर्ट की राय
देश में ऐतिहासिक फ़िल्मों और विवादों का लम्बा इतिहास रहा है। अक्सर देखा गया है कि इतिहास के पन्नों से निकली कहानियों पर जब-जब कोई फ़िल्म आयी, उसे किसी ना किसी विवाद का सामना करना पड़ा है। कभी कहानी तो कभी किसी किरदार को लेकर समाज के किसी हिस्से या समुदाय ने आपत्ति जताई है। निर्देशक आशुतोष गोवारिकर की हालिया रिलीज़ फ़िल्म 'पानीपत' भी एक ऐसे ही विवाद में फंस गयी है, जिसकी कल्पना फ़िल्म की रिलीज़ से पहले शायद ही किसी ने की होगी।
फ़िल्म में जाट महाराजा सूरजमल के चित्रण को लेकर जाट समुदाय 'पानीपत' का तगड़ा विरोध कर रहा है। राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में फ़िल्म के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन किये जा रहे हैं। जयपुर के एक सिनेमाघर में तोड़फोड़ का मामला भी सामने आ चुका है। राजस्थान के कई सिनेमाघरों में फ़िल्म के प्रदर्शन को रोक लगा दी गयी। अब फ़िल्म के विरोध ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है और फ़िल्म पर बैन लगाने की मांग लोकसभा तक पहुंच चुकी है।
इस पूरे विवाद को समझने और इसके पीछे के कारण जानने के लिए हमने फ़िल्म के ख़िलाफ़ आंदोलन की अगुवाई कर रहे सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संस्थापक हनुमान बेनीवाल, राजस्थान सरकार के पर्यटन मंत्री महाराजा विश्वेंद्र सिंह और इतिहासकार डॉ. रितेश्वर नाथ तिवारी से संपर्क किया।
क्या है 'पानीपत' का पूरा विवाद
'पानीपत' फ़िल्म वैसे तो मराठाओं और अफ़गानी आक्रमणकारियों के बीच 1761 में हुई 'पानीपत की तीसरी लड़ाई' की कहानी दिखाती है, मगर विवाद की चिंगारी भरतपुर के महाराजा सूरजमल के सिनेमाई चित्रण को लेकर भड़की है। फ़िल्म में दिखाया गया है कि जाट महाराजा सूरजमल अफ़गान शासक अहमद शाह अब्दाली के विरुद्ध लड़ाई में मराठाओं का साथ देने की एवज में आगरा के क़िले की मांग रख देते हैं, जिसे ठुकरा देने पर वो मराठाओं की मदद नहीं करते।
फ़िल्म में दिखाये गये इसी प्रसंग से जाट समुदाय और राजा सूरजमल के वंशज ख़फ़ा हैं, जिसके चलते फ़िल्म का जयपुर समेत राजस्थान के कई इलाक़ों में विरोध किया जा रहा है।
क्या कहते हैं 'पानीपत' का विरोध करने वाले
'पानीपत' का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि महाराजा सूरजमल की भूमिका को फ़िल्म में ग़लत ढंग से चित्रित किया गया है। 'पानीपत' को लेकर विवाद बढ़ा तो इसकी गूंज लोकसभा में भी सुनाई दी। शून्यकाल के दौरान नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संस्थापक हनुमान बेनीवाल फ़िल्म को बैन करने की मांग उठा चुके हैं।
जागरण डॉट कॉम से बात करते हुए हनुमान बेनीवाल ने कहा- ''पानीपत फ़िल्म में भरतपुर के महाराजा सूरजमल को जिस तरह सौदेबाज़ी करते हुए दिखाया गया है, वो ग़लत है। मुगलों के ख़िलाफ़ लड़ाइयों में राजस्थान का लम्बा इतिहास रहा है। जाट समुदाय ने कई लड़ाइयों में अहम योगदान दिया है। महाराजा सूरजमल के फ़िल्म में चित्रण से तमाम हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई हैं।''
बेनीवाल ने आगे कहा कि सेंसर बोर्ड को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी वर्ग की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे। उन्होंने कहा कि व्यस्तता की वजह से अभी फ़िल्म नहीं देख सके हैं, लेकिन विवाद के बारे में उन्हें बताया गया है। अगर निर्माता-निर्देशक माफ़ी मांग लें और विवादित दृश्य फ़िल्म से हटा लें तो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी आंदोलन वापस ले लेगी। मामले को लेकर सांसद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात का समय मांगा है।