Budget 2020 Expectations: हाट-बाजारों की पुरानी स्कीम GrAM के लिए आम बजट में विशेष प्रावधान की संभावना
हाट-बाजारों की पुरानी स्कीम ग्रामीण एग्रीकल्चरल मार्केट (ग्राम) को नये कलेवर में पेश करने की केंद्र सरकार की तैयारी है। कृषि उपज बेचने की सहूलियत के लिए किसानों के नजदीक तक मंडियों की सुविधा देने की दिशा में दो साल पहले यह स्कीम शुरू की गई थी। लेकिन यह रफ्तार नहीं पकड़ पाई, जिसे देखते हुए आगामी आम बजट में विशेष प्रावधान किए जा सकते हैं। घोषित 22 हजार में से गिनती की मंडियों में ही मूलभूत सुविधाएं मुहैया हैं।
किसानों की आमदनी में सुधार के लिए सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में कई अहम घोषणाएं कर रखी थी, जिन्हें पटरी पर लाने के लिए अभी बहुत कुछ करना बाकी है। इसी क्रम में उपज की बिक्री के लिए मंडियां विकसित करने की योजना ‘ग्राम’ से बड़ी उम्मीदें हैं। लेकिन इनका विकास न होने से इसका फायदा किसानों को नहीं मिल पा रहा है। इनमें राज्यों की भूमिका भी अहम है।
मंडी कानून में सुधार के लिए राज्यों को कई तरह के प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं। आम बजट में इसके लिए विशेष प्रावधान की संभावना है। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अभी तक केवल 60 फीसद मंडियों का ही सर्वेक्षण हो सका है। इन दो वर्षो में केवल इन ग्रामीण बाजारों की जरूरतों को जानने की कोशिश की गई है। सर्वेक्षण के मुताबिक 72 फीसद मंडियों में खुदरा कारोबार होता है, जबकि चार फीसद में केवल थोक व्यवसाय होता है।
वहीं, 24 फीसद ऐसे ग्रामीण बाजार में थोक व खुदरा दोनों तरह के कारोबार होते हैं। इनमें से 69 फीसद साप्ताहिक बाजार लगते हैं, जबकि 11 फीसद रोजाना लगते हैं। 20 फीसद अन्य हैं। देश के 70 फीसद ग्रामीण बाजारों का मालिकाना हक स्थानीय निकायों के पास है। सर्वेक्षण में पाया गया कि इन ग्रामीण हाट व बाजारों में मूलभूत सुविधाओं का नितांत अभाव है।
पक्की सड़कों के जुड़े बाजार केवल 15 फीसद हैं, जबकि शौचालय केवल तीन फीसद बाजारों में हैं। चार फीसद बाजारों के पास ही गोदाम हैं। इन बाजारों को विकसित करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय की तमाम योजनाओं को इसमें लगा दिया गया, लेकिन तालमेल के अभाव में बहुत कुछ नहीं हो सका है।