चीन के पड़ोसियों में सबसे अधिक पाकिस्‍तान को है कोरोना वायरस का खतरा, जानें क्‍यों और कैसे

कोरोना वायरस ने चीन को हिलाकर रख दिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक तीन दर्जन से अधिक शहरों में इस वायरस के करीब 2744 मामले सामने में चुके हैं। इसमें 461 मरीजों की हालत काफी गंभीर है। वहींं 80 लोगों की मौत इस वायरस की चपेट में आने से हो चुकी है। अकेले हुबई में ही इसके 1400 से अधिक रोगी मिले हैं। चीन ने एहतियातन अपने करीब 387 रेलवे स्‍टेशनों पर इस वायरस की जांच को लोगों का तापमान मापने की मशीनें लगाई गई हैं। इसके अलावा चीन ने सभी स्‍कूलों और यूनिवर्सिटी में सभी तरह के एग्‍जाम आगे के लिए बढ़ा दिया गया है। हालांकि अभी इसकी कोई तारीखें तय नहीं की गई हैं। 


पाकिस्‍तान को अधिक खतरा


चीन के रास्‍ते दूसरे देशों में भी अब ये वायरस पहुंचने लगा है। हालांकि इसकी निगरानी के लिए विभिन्‍न देशों ने कई स्‍तर पर उपाय किए हैं, इसके बाद भी कुछ दूसरे देशों में इसके मरीज सामने आए हैं। इस वारयस को लेकर यूं तो पूरी दुनिया काफी सतर्क है लेकिन, सच्‍चाई ये भी है कि इसका सबसे बड़ा खतरा चीन के पड़ोसी देशों को ज्‍यादा है। वहीं पाकिस्‍तान इसमें सबसे आगे है। ऐसा होने की एक नहीं कई बड़ी वजह हैं।  


वुहान से शिनजियांग तक फैला कोरोना वायरस 


आपको बता दें कि चीन के शिनजियांग प्रांत में भी इस वायरस के मामले सामने आ चुके हैं। यह वही प्रांत है जो पाकिस्‍तान की सीमा से लगता है। वुहान जहां पर इस वायरस के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं उससे यह प्रांत करीब 3000 किमी दूर है। शि‍नजियांग प्रांत के काश्‍गर से ही चीन पाकिस्‍तान के बीच निर्माणाधीन आर्थिक कॉरिडोर प्रोजेक्‍ट भी है। कॉरिडोर के काम को लेकर दोनों ही देशों के बीच लोगों की आवाजाही आम बात है। ऐसे में इस वायरस के पाकिस्‍तान में पहुंचने की आशंका सबसे अधिक है। इस प्रोजेक्‍ट को लेकर करीब दस हजार चीनी नागरिक पाकिस्‍तान में मौजूद हैं। वहीं पाकिस्‍तान के मुल्‍तान में एक चीनी नागरिक के इस वायरस की चपेट में होने की आशंका जताई गई है।  


क्‍या कहते हैं आंकड़े


आपको बता दें कि हर सप्‍ताह पाकिस्‍तान से चीन की तरफ 20 से अधिक फ्लाइट जाती हैं। पाकिस्‍तान के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि चीन में करीब 28 हजार पाकिस्‍तानी नागरिक मौजूद हैं, जिनमें कई छात्र भी शामिल हैं। इसके अलावा अनुमानिततौर पर 1500 लोग ऐसे भी हैं जो दोनों देशों के बीच फ्रिक्‍वेंट ट्रेवलर हैं। इस वायरस को लेकर पाकिस्‍तान के अखबार 'द डॉन' में एक लेख छपा है जिसमें पाकिस्‍तान में इसकी जांच और टेस्‍ट को लेकर गहरी चिंता व्‍यक्‍त की गई है। हुमा यूसुफ ने अपने इस लेख में लिखा है कि पाकिस्‍तान इस संक्रामक रोग से निपटने के लिए तैयार नहीं है। उन्‍होंने इसकी वजह अधिक जनसंख्‍या, खराब स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था, जानकारी का अभाव, लगातार शहरीकरण का होना बताया है।


 

डेंगू से निपटने में भी विफल रहा था पाकिस्‍तान 


अपने इस लेख में उन्‍होंने यहां तक लिखा है कि जब देश में डेंगू ने महामारी का रूप लिया था तब भी विभिन्‍न विभागों के बीच में तालमेल का अभाव देखने को मिला था। जहां तक चीन की बात है तो हुमा ने इस लेख में लिखा है कि इस वायरस से निपटने के लिए चीन की ब्‍यूरोक्रेसी को भी चुस्‍त-दुरुस्‍त होना होगा। इसमें उन्‍होंने यहां तक कहा है कि पाकिस्‍तान में इसकी जानकारी और बचाव को आम जन तक पहुंचाने की भी कोई सुविधा दिखाई नहीं दे रही है। 


 

कई देशों ने जारी की है एडवाइजरी 


चीन से लगते दूसरे देशों ने भी अपने यहां पर आने वाले चीनी नागरिकों या चीन से वापस आने वाले किसी भी यात्री की जांच के इंतजाम किए हैं। भारत ने सबसे पहले इस वायरस के खतरे को भांपते हुए एक एडवाइजरी जारी की थी। वहीं चीन से आने वाली हर फ्लाइट और उसके यात्रियों की गहन जांच की भी व्‍यवस्‍था एयरपोर्ट पर की गई है। चीन ने ही अमेरिका से उसके सभी नागरिकों को वुहान से बाहर निकालने को लेकर मदद भी मांगी है।  जिसके बाद अमेरिका ने कहा है कि वह अपने एक हजार नागरिकों को वहां से निकालने के लिए चार्टड प्‍लेन का इस्‍तेमाल करेगा। इतना ही नहीं तुर्की में भी एक चीनी नागरिक के इस वायरस की चपेट में आने के बाद उसकी वापसी के लिए सरकार ने इमरजेंसी पेसैज तैयार किया है। 


 

चीन की सरकारी मीडिया का खुलासा 


इसके अलावा इस वायरस को लेकर चीन की ही सरकारी मीडिया में एक बड़ा खुलासा भी हो रहा है। इसके मुताबिक 2003 में जब इस वायरस ने चीन में दस्‍तक दी थी तब इसको लेकर चीन ने इस पर शोध को लेकर एक बड़ा अवसर खो दिया। चीन के सरकारी अखबार ने एक साइंस मैगजीन में छपे "चाइना मिस चांस (China's Missed Chance) शीर्षक से प्रकाशित एक लेख के हवाले से लिखा है कि 2003 में इस पर शोध करने और इसकी दवा बनाने का मौका था जिसको चीन ने मिस कर दिया। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने 12 जनवरी को एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसके एक दिन बाद एक जर्मन शोधकर्ता ने इस वायरस के फर्स्‍ट डायग्‍नोस्टिक टेस्‍ट का दावा किया था। इसके आसपास ही चीन ने भी इस वायरस के टेस्टिंग डिवाइस को तैयार कर लिया था। 


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