धरती को तबाही की तरफ धकेल रही हैं ये पांच बड़ी वैश्विक समस्याएं, 30 पर हुआ शोध

तापमान के बढ़ने, सिकुड़ती खाद्य आपूर्ति और बिगड़ती जैव विविधता के कारण वैश्विक प्रणाली पतन की ओर जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय शोध संगठन फ्यूचर अर्थ के लिए किए शोध में दुनिया के 200 वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन के संकट को लेकर आगाह किया है। उनके मुताबिक पांच बड़ी वैश्विक समस्याएं एकजुट होकर धरती को तबाही की तरफ तेजी से धकेल रही हैं।


30 में से 5 सबसे बड़े जोखिम


21वीं सदी में जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का खत्म होना, ताजे पानी और भोजन के घटते स्रोत और तूफान से गर्म हवा चलने तक के चरम मौसम की घटनाएं मानवता के लिए बड़ी चुनौती होगी। फ्यूचर अर्थ के शोध के अनुसार, वैश्विक स्तर के 30 जोखिमों में से इन पांचों की संभावना और प्रभाव दोनों ही इस मामले में सूची में सबसे ऊपर रहेंगे। गुरुवार को प्रकाशित रिपोर्ट में दुनिया के शिक्षाविदों, प्रमुख कारोबारी और नीति नियंताओं को इन पांचों खतरों पर तुरंत ध्यान देने के लिए कहा गया है। इनके जोखिमों को परस्पर जुड़ा हुआ माना गया।


खतरे का मकड़जाल


मेसाचुसेट्स विश्वविद्यालय की प्रोफेसर मारिया इवानोवा के नेतृत्व में एक टीम ने 50 पेज की रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन जोखिमों का संयोजन एक दूसरे को प्रभावित करने और वैश्विक प्रणाली के पतन को तेज करने की क्षमता रखता है। फ्यूचर अर्थ के कार्यकारी निदेशक एमी लुअर्स ने कहा कि मानवता टिकाऊ ग्रह और समाज के लिए संक्रमण के महत्वपूर्ण चरण में है। अगले दशक में हमारे कार्य पृथ्वी पर हमारे भविष्य का निर्धारण करेंगे।


एक अरब वन्यजीवों की मौत


साल दर साल गर्म होने का रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। सूखी और गर्म परिस्थितियां ऑस्ट्रेलिया में जंगल की आग का कारण बनी और इसमें करीब एक अरब जीवों के मारे जाने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्टे्रलिया के जंगलों में लगी आग और अमेजन के जंगलों में 2019 में लगी आग के लिए आंशिक रूप से जलवायु परिवर्तन कारण है।


खाद्य आपूर्ति का जोखिम


रिपोर्ट में कहा गया है कि गर्म होती दुनिया में बाढ़ आने, भूस्खलन, आग, संक्रमण और परजीवियों से होने वाली बीमारियों का ज्यादा खतरा रहता है। जैव विविधता के खात्मे का अर्थ प्राकृतिक और कृषि प्रणालियों की क्षमता का कमजोर होना है और यह खाद्य आपूर्ति को भी जोखिम में डालती है।


पिछले पांच साल सबसे गर्म


आर्कटिक क्षेत्र में पिछले पांच साल सबसे ज्यादा गर्म रिकॉर्ड किए गए हैं। समुद्रों की बर्फ पिघल रही है और यह वन्यजीवन, मछली पालन और स्थानीय समुदायों को प्रभावित कर रही है। गर्म हवाओं का प्रभाव शहरों पर भी अपेक्षित है। उन जगहों पर जहां ज्यादा शहरीकरण दर और गरीबी होती है। खासकर दक्षिण पूर्व एशिया और लैटिन अमेरिका में।


भरपेट भोजन की समस्या


रिपोर्ट में देशों में मोटापे के संकट की तुलना में दुनिया के खराब हिस्सों में पेट भर भोजन नहीं मिलने को उजागर किया है। 1960 के बाद से दुनिया में प्रति व्यक्ति भोजन की मात्रा में 40 फीसद से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। बावजूद इसके कुपोषण बढ़ने लगा है। 2018 में कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या 82 करोड़ थी, जबकि 2015 में यह संख्या 78.5 करोड़ थी। इसी समय एक अरब 90 लाख लोग अधिक वजनी और 65 करोड़ लोग मोटापे के शिकार हैं जो कि खाद्य सुरक्षा में विसंगति को उजागर करते हैं। कम प्राकृतिक संसाधनों वाले ग्रह पर अनुमानित 9 अरब लोगों को खिलाने की जरूरत है।


एक साथ छह मौसम


कुछ वैज्ञानिकों ने पिछले 12 महीनों में पर्यावरणीय संकटों की संभावना और प्रभावों को देखना शुरू कर दिया है, जिसमें ऑस्ट्रेलियाई झाड़ियों, फिलीपींस की बाढ़ और अफ्रीका के चक्रवात शामिल हैं। शोध से पता चला है कि दुनिया के कुछ हिस्से जल्द ही एक साथ छह चरम मौसम की घटनाओं का सामना कर सकते हैं। लू की लपटों और जंगल की आग से लेकर बाढ़ और घातक तूफान तक इसमें शामिल हैं।


Popular posts from this blog